हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एसोसिएशन ऑफ यमनी स्कॉलर्स ने एक बयान में कहा है कि दुर्भाग्य से, स्वीडिश सरकार ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के नाम पर पवित्र कुरान का अपमान किया है, इसलिए हम इस कायरतापूर्ण और असहनीय कृत्य की निंदा करते हैं। हम इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं।
यमनी विद्वानों ने इस बयान में कहा है कि स्वीडिश और यूरोपीय देशों को मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने वाले ऐसे शर्मनाक कार्यों की रोकथाम सुनिश्चित करनी चाहिए।
इस बयान में अंजुमन-ए-उलेमा-ए-यमन ने संयुक्त राष्ट्र और मुस्लिम देशों से स्वीडिश सरकार का बहिष्कार करने और इस देश के राजदूतों को देश से बाहर निकालने का आह्वान किया है।
यमनी विद्वानों ने भी सभी धर्मी मुसलमानों से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करके पवित्र कुरान के अपमान का जवाब देने का आह्वान किया है।
यमनी उलमा एसोसिएशन ने इस बात पर जोर दिया कि यदि मुसलमान कोई दृढ़ और प्रभावी रुख नहीं अपनाते हैं, तो पवित्र कुरान को जलाने की ये कायरतापूर्ण हरकतें जारी रहेंगी और अगर कोई इस संबंध में कोई रुख नहीं अपनाता है, तो वे भी इसमें बराबर के भागीदार होंगे।
ज्ञात हो कि ईद-उल-अज़हा के दिन स्वीडन के एक चरमपंथी व्यक्ति ने पुलिस और उच्च अधिकारियों के सहयोग से पवित्र कुरान को मस्जिद से बाहर निकाला और उसमें आग लगा दी।